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जिस जगह पर बच्चे का जन्म होता हैं उसे सेंटर मानकर पुरे ब्रह्माण्ड को १२ भाग में बांटा गया हैं अथार्थ ३६० डिग्री सोरौन्डिंग को १२ भाग में यानि की एक भाग ३० डिग्री का हुवा . इसी को राशी नाम दिया गया हैं. इसतरह से बारह राशी हुवा जिन्हें क्रम से १. मेष, २. वरिश , ३, मिथुन, ४. कर्क, ५. सिंह, ६. कन्या, ७. तुला, ८. वृस्चक , ९. धनु, १०. मकर, ११. कुम्भ, १२. मीन नाम दिया गया हैं. ये सारे ब्रह्माण्ड के नक्सा हैं. जिस समय बच्चे का जन्म होता हैं उस समय पूर्वी छितिज पर जो राशी होती हैं उसे लग्न बोला जाता हैं. लग्न को कुंडली में प्रथम भाव बोला जाता हैं जो कुंडली में सबसे ऊपर बिच में होता हैं. यही से भाव को गिना जाता हैं अथार्थ प्रथम भाव, द्वितीये भाव ……अगर कन्या राशी पूर्वी छितिज पे हो तो कन्या लग्न हुवा अथार्त कुंडली का प्रथम भाव ६ नंबर होगा….क्रमशः (९४३१०००४८६) आगे राशी क्या हैं?
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