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योगशास्त्र एवं आध्यात्म – 2. पहले मुर्गी हुई या अंडा

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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तो जब आध्यात्म और विज्ञान का सम्बन्ध हो गया तो मुझे जबाब भी मिला …| आपने सुना होगा की अमुक जगह एक ऐसे बच्चे ने जन्म लिया जिसका चार हाथ था अथवा एक ऐसे बच्चे ने जन्म लिया जिसको दो सर थे | ऐसा अक्सर आप पेपर में पढ़ते होंगे | सारांस यह कि एक ऐसे बच्चे ने जन्म लिया जो आपने जनक माँ-बाप के समान नहीं था | ऐसा कभी कभी जीनी संरचना में दोष आने पर हो जाता है क्योकि जीन ही आनुवांशिक गुणों का वाहक होता होता है| ..तो जरा सोचे, हजारो साल के बीच कभी एक ऐसा अवसर आये कि माँ-बाप से विल्कुल अलग ये बच्चा किसी तरह से बच जाये, मरे नहीं…तो इसकी जो संतति होगी वह इसी के सामान हो सकती है, जीन संरचना के कारण; तो विल्कुल एक नई जाति आ जाएगी – चार हाथो वाला मानव या दो सर वाला मानव | ..तो इस नई जाति कि पहली उत्पति का कारण ये नई जाति नहीं, वरन कोई और जाति है और वह है दो हाथ और एक सर वाला मानव | …तो मै कहता हूँ – किसी भी जाति कि उत्पति का कारण, जड़ वह स्वयं नहीं बल्कि कोई और जाति होता है | उस जाति का ही एक नया रूप होता है नया जाति | यही है डार्विन का विकासवाद का सिद्यांत, जहाँ तक मै समझता हूँ | अतः न तो पाहे मुर्गी हुई और न ही अंडा…न तो पहले गुठली हुवा, न ही आम | मुर्गी और अंडे के उत्पति का कारण ये स्वंयं नहीं कोई और है | आम और गुठली के उत्पति का कारण ये नहीं, कोई और है | cont..d.k.shrivastava 9431000486 19.6.10

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