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जब कोई पति अपने पत्नी के पास ऐसे जाये जैसे कोई मंदिर के पास जाता हो, जब कोई पत्नी अपने पति के पास ऐसे जाये जैसे सच में कोई परमात्मा के पास जाता हो…तो वही परमात्मा काम कर रहा होता है | क्योकि जब दो प्रेमी काम से निकट आते है; जब वे सम्भोग से गुजरते है, तब सच में वे परमात्मा के मंदिर से ही गुजरते है | वही परमात्मा का सृजन शक्ति काम कर रही है | ‘
‘काम’ जीवन उर्जा रूपांतरण का एक बिज्ञान है | सेक्स की शक्ति परमात्मा की शक्ति है | ….इसलिए तो इससे उर्जा पैदा होती है और नए जीवन विकसित होते है |
मनुष्य से भी ज्यादा प्रेम पशु-पक्छियो में और पौधो में दिखाई पड़ता है जिसके पास न कोई संस्कृति है, न कोई धर्म है | सुसंस्कृत और सभ्य मनुष्यों के वजाय असभ्य जंगली आदमियों में प्रेम दिखाई पड़ता है | जितना आदमी सभ्य, सुसंस्कृत और तथाकथित धर्मो के प्रभाव में मंदिरों और चर्चो में प्रार्थना करने लगता है उतना ही प्रेम से शून्य क्यों होता चला जाता है? जरुर कुछ कारण है | आखिर ये कारण क्या है ? इसे समझना होगा…| cont…d.k. shrivastava 9431000486
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