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योगशास्त्र एवं आध्यात्म – 9. यज्ञ बलि

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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आदि मानव शायद कंद-मूल-फलाहारी ही होगा | कालांतर में मानव समाज मांसाहारी बना | जो बुद्धिमान ब्यक्ति थें, उन्हें यह नहीं जंचा | उन्होंने यह प्रतिबन्ध लगाया कि मांश ही खाना है तो यज्ञ में बलि दिए पशुओ का ही मांश खाना चाहिए | उनका हेतु था कि हिंसा रुके | इस प्रतिबन्ध से हिंसा में ठहराव जरुर हुआ लेकिन यह ‘स्टे’ साबित हुआ, ‘स्टॉप’ नहीं | पुनः यज्ञ एक सामान्य-क्रम बन गया | ऐसा होने लगा कि जो चाहता, यज्ञ करता और मांश खाता | तब भगवान् बुद्ध आगे आये | उन्होंने कहा – तुम्हे मांश खाना है तो खाओ, परन्तु भगवान् का नाम लेकर मत खाओ | इन दोनों बचनों का हेतु एक ही था – हिंसा की रोक हो | तो प्रधान यज्ञ नहीं उसकी भावना है | यज्ञ तो साधन है….मूर्ती तो साधन है | इस साधन का सहारा लेना होगा तो साध्य पकड़ना होगा |

cont…Dhiraj kumar Shrivastava; 9431000486,

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