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यह ठीक है की प्रकृति ने, परमात्मा ने मनुष्य को बुधि, प्रतिभा, कौशल और विश्लेषण करने की विशेष क्षमताएं प्रदान कर रखी है | किन्तु इसी कारण मनुष्य सर्वश्रेष्ठ नहीं हो गया और जब तक यह सर्वश्रेष्ठ नहीं, तब तक इसे कोई अन्य सत्ता माननी होगी जो कि सर्वश्रेष्ठ, सर्वज्ञानी है | परमात्मा ने एक से एक अजूबे दिए है |
पता है, …घोंघे को अपना आहार खुरच खुरच कर खाना होता है अतः प्रकृति ने उसके जीभ में इतने अधिक दन्त लगा दिए हैं कि उसे भोजन करने में कोई परेशानी न हो | जीवशास्त्रियो के अनुसार घोंघे के जीभ में १२०० से १४०० दन्त होते हैं |
पता है सात आठ फिट लम्बा एक-डेढ़ क्विंटल भारी शुतुरमुर्ग जिस तेजी से भागता है कि आश्चर्य होता है; मनुष्य भी नहीं भाग सकता | इसके चोंच का इतना तीखा प्रहार होता है कि एक-डेढ़ इंच मोटी लोहे की चादर में भी छेद हो जाये | इतना बड़ा शरीर, अतः परमात्मा ने पाचन शक्ति ऐसा प्रखर बनाया है कि कठोर से कठोर बस्तु भी पच जाये |
तो कोई सुप्रीम पावर है अन्यथा ऐसा सुनियोजित व्यवस्था कैसे संभव है ?
cont…..D.K.Shrivastava 9431000486
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