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योगशास्त्र एवं आध्यात्म – ३७. साधना का प्रथम चरण – उर्जा संरक्षण |

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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वास्तव में हम जीवित है नाममात्र को | क्या सोने और जागने का नाम जीवन है ? क्या बच्चे से जवान और जवान से बूढ़े हो जाने का नाम जीवन है ? धन कमाने, शादी करने, बच्चे पैदा करने और जीवन भर हाय हाय करने के बाद मर जाने का नाम जीवन है ? ये सब तो यांत्रिक, मेकैनिकल चिझे हैं | जीवन तो कुछ और ही है | और ‘वह कुछ और जीवन’ का अनुभव हमें तभी हो सकता है जब वह केंद्र खुलेगा | लेकिन वह खुलेगा कैसे ? कौन साधन है उसे खोलने के लिए ? कौन शक्ति है उसे खोलने के लिए | तो वह है ‘कुण्डलिनी शक्ति | योगी समाज का कहना है कि कुण्डलिनी की उर्जा से वह केंद्र खुलेगा | यही एकमात्र साधन है | लेकिन यह तभी संभव है जब कुण्डलिनी शक्ति का जागरण हो और जागरण होता है ध्यान की गहराईयों में उतरने पर |

तो हमारा ध्यान कैसे हो ? लोग ध्यान की अवस्था में शीघ्र थक जाते है | थकने का कारण है कि हम एक्झौस्ट पॉइंट पर जीते हैं | सब खर्च किये रहते है | हम देखते है तब भी शक्ति खर्च होती है, सुनते है तब भी शक्ति खर्च होती है और जब बोलते हैं तब भी शक्ति खर्च होती है | हम हर समय अपनी शक्ति खर्च करते रहते है | रात में इसलिए थोड़ी सी बच जाती है कि काम बंद हो गए | जो कुछ बचता है उसी के कारण आप सुबह उठने पर अपने को तरोताजा अनुभव करते है |

तो ध्यान की गहराई में जाने के लिए आपको इस भांति जीना चाहिए कि जीवन उर्जा कम से कम व्यय हो | उर्जा संरक्षण के लिए इन्द्रियों के द्वार जितना बंद कर सके, कर ले क्योंकि वे ही उर्जा क्षय करने की व्यवस्थाये हैं | अधिक से अधिक समय तक आँखों को बंद रख सके, रखे | जहाँ तक संभव हो कान को भी बंद रखे, कुछ मत सुने | आपको भीतर कि ध्वनि सुननी है | बाहर में एक साथ कई ध्वनिया है, भारी उपद्रव है | तो भीतर की सूक्ष्म ध्वनि सुनने के लिए बाहर से कान बंद रखे | रुई डाल ले | आँख पे पट्टी बांध ले | होठ भी बंद रखे | हूं-हाँ भी न करे | जीवन भर बातें की है | क्या पा लिया ? आपने बोल बोल कर जो न जाना, संभव है उसकी झलक मौन में मिल जाये | भोजन भी अल्प होना चाहिए, क्योंकि पचाने में भी बहुत उर्जा व्यय होती है | मस्तिष्क को अपनी उर्जा पेट को देनी पड़ती है पाचन क्रिया के लिए | इसलिए मस्तिष्क सुस्त हो जाता है और यही कारण है कि खाने के बाद नींद लगती है | उपवास करे तो आपको रात में नींद नहीं आएगी | इसलिए भोजन हल्का ले | तो हमें आँख मूंदे हुए, मौन रहकर अधिक से अधिक उर्जा बचाना है | यही कारण है की साधू-सन्यासी समाज और भीड़ से दूर जंगलो-पहाड़ो पर चले जाते है ताकि उनकी उर्जा ज्यादा से ज्यादा बच सके | साधना का यह प्रथम चरण है –उर्जा बचाना अर्थात उर्जा संरक्षण |

cont…Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, 5.8.2010

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