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कभी कभी ऐसा भी देखा गया है कि मस्तिष्क के रहस्मय भाग के केंद्र पर किसी दुर्घटना या गहरे आघात से बिना किसी साधना अथवा अभ्यास के ही पीनियल ग्लैंड यानि तीसरा नेत्र स्वयं ही अपने आप खुल जाता है | इसके कई उदाहरण है |
हालैंड के पीटर हरकौस, इनका जन्म हालैंड के एक कस्बे ‘पियान’ में मार्च १९११ में हुआ था | ये आज भी जीवित हैं | इन्हें दीवाल को पोताई करते समय फिसल कर गिर जाने से सर में चोट लग गई थी और जब चेतना वापस लौटी तो ये विल्कुल बदल चुके थे | किसी भी व्यक्ति के अतीत और भविष्य को देख लेने कि विलक्षण शक्ति इनके भीतर आ चुकी थी |
महाभारत के संजय पर निरंतर संदेह उठता रहा है | संदेह उठना स्वाभाविक भी है | संजय बहुत दूर बैठकर ‘कुरुक्षेत्र’ में क्या हो रहा है, इसकी सूचना धृतरास्ट्र को देता था | मन को संदेह होता है कि इतनी दूर संजय कैसे देख पाता था | क्या वह सर्वज्ञ था ! नहीं | दुर्भाग्य के न जाने किन क्षणों में हमने अपने प्राचीन ग्रंथो को कपोल कल्पना समझना शुरू कर दिया और तभी हम वास्तविकताओ से दूर होते गए | खैर, अमेरिका में एक व्यक्ति है – टेड सिरियो | यह हजारो मिल दूर के दृश्यों को भलो भांति देख सकता है और सुन सकता है | हमारी इन्द्रियों में असीम नैसर्गिक शक्तिया भरी पड़ी है | संभव है यही नैसर्गिक शक्ति संजय को प्राप्त हो गई हो | आज तो वैज्ञानिक भी मनुष्य की आंतरिक शक्तियों को निरंतर स्वीकार करते जा रहे हैं | खैर, संजय के दृष्टि का आज वैज्ञानिक आधार भी है | आज रूस और अमेरिका की प्रयोगशालाए ऐसी व्यवस्था में लगे हुए हैं कि दूर से अर्थात पृथ्वी से ही सुदूर अन्तरिक्ष को देखा जा सके, सुना जा सके और कामयाब भी हुए है | शीघ्र ही उनके पास संजय होगे और वे संजय दृष्टि से सुदूर ग्रहों को जान सकेंगे | स्पष्ट है कि संजय के पास कोई विशेष नैशार्गिक शक्ति थी जो विकसित भी हो सकती है और हो रही है | दूरदर्शन इसी दिशा में उठा पहला कदम था |
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