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योगशास्त्र एवं आध्यात्म – ४२. ये सब उदाहरण तीसरा नेत्र का ही कमाल है

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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अमेरिका में १९०५ में एक आदमी जिसका नाम था ‘एडगर कायसी’ एक बार चोट लगने के कारण कोमा में चला गया और जब इसका कोमा टुटा तो इसके पास एक विलक्षण शक्ति आ गई थी | यह किसी भी रोग का सही निदान बता देता था |

ये तो दूर की बात हुई, भारत में गाज़ियाबाद जिले के मुरादनगर आर्डिनेंस फैक्ट्री से जुड़े गावं खुर्रमपुर सलिमाबाद में १९४१ में एक लड़का जन्मा – कृष्णदत्त….बज्र मुर्ख, अनपढ़, गंवार | लेकिन आश्चर्य, ये शवासन में लेट जाने पर ऐसे गूढ़ विषयों पर प्रवचन देने लगते एकदम सरल भाषा में कि वह वेद-पुरानो में भी कही उपलब्ध नहीं थी | कृष्णदत्त जो प्रवचन करते है वह ज्ञान निश्चय ही उनका अपना नहीं है | कृष्णदत्त को प्रवचन के पूर्व यह पता नहीं होता कि उन्हें क्या कहना है और प्रवचन के बाद उन्हें पता नहीं होता कि उन्होंने क्या कहा | यहाँ तक कि सामान्य अवस्था में अपने ही प्रवचन का अर्थ वे समझ न पाते थे | १९ जुलाई १९६४ को राजा गार्डेन, दिल्ली में दिए गए प्रवचन में उन्होंने बताया था कि उनकी यौगिक आत्मा का उत्थान होकर अन्तरिक्ष में विचरती सूक्ष्म शरीरधारी आत्माओ से सत्संग हो जाता है | चूँकि आत्मा का तारतम्य इस शरीर से रहता है अतः उस सत्संग की वाणी का प्रसार इस शरीर से होने लगता है |

तो ये सब उदाहरण तीसरा नेत्र का ही कमाल है |

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