- 157 Posts
- 309 Comments
५.८.१९९४ (०६:३८ PM)
गतांक से आगे
इस ब्रह्माण्ड में सर्वाधिक रहस्य परमात्मा है | वह एक रहस्य है और उसके बाद कोई रहस्य है तो वह है मनुष्य | मनुष्य रहस्यमय इसलिए है कि उसके पास मस्तिष्क है | सारे ब्रह्माण्ड का रहस्य भेदन संभव है किन्तु मानव मस्तिष्क का नहीं | अधिक से अधिक इसका चार या पांच प्रतिशत भाग ही काम करता है | शेष भाग प्रसुप्त रहता है | जितने भी बड़े बड़े विद्वान, वैज्ञानिक हुए है वे अपने मस्तिष्क का केवल ५% ही लगभग उपयोग कर सके है | इस प्रसुप्त भाग में से जो जितना अधिक अंश जागृत कर लेता है वह उतना ही बुद्धिमान, प्रज्ञावान और ज्ञानवान बन जाता है और यह प्रसुप्त भाग जागृत होता है अभ्यास एवं ध्यान से | जो लोग यह समझते है कि मानसिक विकास अच्छी से अच्छी शिक्षण पद्धति पर निर्भर है, वे भ्रम में हैं | शिक्षा से मात्र केवल जानकारी बढ़ती है | जिज्ञासाओ का समाधान होता है और नए नए प्रश्नों का जन्म होता है | इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं होता | मानसिक शक्ति का विकास चित्त की समुचित एकाग्रता पर निर्भर है और यह ‘ध्यान योग’ द्वारा ही संभव है |
मस्तिष्क तीन भागो में बिभक्त है | मुख्य मस्तिष्क (सेरीब्रम) में मस्तिष्क की खोपड़ी कपाल के आगे, मध्य और पीछे का हिस्सा रहता है | मस्तिष्क का यह प्रदेश इडा नाड़ी से जुड़ा हुआ है और जागृत अवस्था में यह सक्रीय रहता है | गौण मस्तिष्क (सेरिवेलम) पिंगला नाड़ी से जुडा हुआ है और यह स्वप्नावस्था में सक्रीय होता है | तीसरा भाग है अधोस्थित मस्तिष्क (मेडुला आव्लंगाटा) जो मेरुदंड की शिखर है | मस्तिष्क का यह अत्यंत रहस्यमय प्रदेश है | सुषुम्ना नाड़ी से जुडा हुआ है यह | मस्तिष्क के इन तीनो भागो को एक सूत्र में बांधने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण नाड़ी है – गुह्यनी नाड़ी | यही नाड़ी चेतना शक्ति की वाहिका है |
cont…Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, १३.८.१०२०
Read Comments