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नेताजी – जिन्दा या मुर्दा १. एक परिचय: – जन्म, प्रारंभिक और कौटुंबिक जीवन

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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NETAJI – DEAD OR ALIVE

CONFUSION, MYSTRY AND STRUGLE IS THE WAY OF NETAJI – मेजर सत्यगुप्त

तईपेई की विमान दुर्घटना में नेताजी को मृत न मानना यदि राजनीति है तो बिना किसी ठोस प्रमाण के उन्हें मृत घोषित कर देना भी राजनीति है |

प्रिये पाठक गण,
नेताजी पर ये धाराप्रवाह मै शुरू करने जा रहा हूँ | इसमें नेताजी से जुड़े तथ्यों पर मै चर्चा करूँगा तथा चाहूँगा कि आप भी इस चर्चा में अनवरत भाग ले | हो सकता है कि आप कही मेरे विचारो से सहमत न हो या आपके कुछ अलग विचार हो तो उसे आप सार्थकता के साथ जरुर अवगत कराये | मै कोशिश करूँगा कि बिना किसी पक्ष या विपक्ष के या बिना किसी राग या द्वेष के इस धाराप्रवाह को आगे बढ़ा सकूँ तथा आपका सार्थक सहयोग मुझे मिलता रहे |

मै आभार प्रकट करता हूँ ‘रणजीत पांचाले’ को, जिनकी पुस्तक ‘भूमिगत सुभाष’ की प्रेरणा से मैंने यह धाराप्रवाह ‘ नेताजी – जिन्दा या मुर्दा ( Netaji – dead or alive) लिखा है |
धन्यवाद

Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, २५.१०.१९९३/२६.०८.२०१०

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

नाम: – सुभाषचन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু ; शुभाष चॉन्द्रो बोशु)
जन्म: – २३ जनवरी १८९७; कटक,भारत
मृत्यु: – १८ अगस्त १९४५; ताइवान (विवादित)
उपनाम : नेताजी
आन्दोलन: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
संगठन: आज़ाद हिन्द फौज
नारा: – १. जय हिंद
२. तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आज़ादी दूंगा
३. दिल्ली चलो, दिल्ली चलो |

नेताजी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया ‘जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया हैं।

१९४४ में अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर से बात करते हुए, महात्मा गाँधी ने नेताजी को देशभक्तों का देशभक्त कहा था। नेताजी का योगदान और प्रभाव इतना बडा था कि कहा जाता हैं कि अगर उस समय नेताजी भारत में उपस्थित रहते, तो शायद भारत एक संघ राष्ट्र बना रहता और भारत का विभाजन न होता। स्वयं गाँधीजी ने इस बात को स्वीकार किया था।

जन्म और कौटुंबिक जीवन

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। पहले वे सरकारी वकील थे, मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उन्होंने कटक की महापालिका में लंबे समय तक काम किया था और वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था। प्रभावती देवी के पिता का नाम गंगानारायण दत्त था। दत्त परिवार को कोलकाता का एक कुलीन परिवार माना जाता था। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाषचंद्र उनकी नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरदचंद्र से था। शरदबाबू प्रभावती और जानकीनाथ के दूसरे बेटे थें। सुभाष उन्हें मेजदा कहते थें। शरदबाबू की पत्नी का नाम विभावती था।

बाल सुभाष की आरंभिक शिक्षा यूरोपियन स्कूल में हुई | १९१३ में उन्होंने एंट्रेस की परीक्षा पास की | उनकी लेखनी अति सुन्दर थी | सुभाष के क्रन्तिकारी भावना का परिचय शुरू में ही मिल गया था | प्रेसिडेंसी कॉलेज में वह छात्रो के नेता बन गए थे | किसी बात पर छात्रो एवं अंग्रेज आध्यापक के बीच विवाद होने के कारन उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था | बी. ए. पास करने के बाद उनके पिता उन्हें आई. सी. एस. अधिकारी बनाना चाहते थे किन्तु सुभाष बाबु के मन में भारत के दीन-हीन लोगो की सेवा करने की ललक थी | पिता के दबाब पर वे पढ़ने इंग्लैंड चले गए | आई. सी. एस. पास भी किया किन्तु अंग्रेज सरकार की नौकरी के लिए उन्होंने साफतौर पर मना कर दिया और भारत लौट कर दिलो-जान से अपने मिशन में जुट गए |

cont…Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, 2.8.2010

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