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नेताजी के अंतिम यात्रा के सम्बन्ध में जो जानकारी उपलब्ध है वह इस प्रकार है – १७ अगस्त १९४५ को जापानी बमवर्षक के साथ सायः ५ बजे नेताजी साईगोन रवाना हुवे | नेताजी के साथ विमान में एकमात्र भारतीय सहयात्री कर्नल हबीबुर्रहमान, जापानी लेफ्टिनेंट जनरल शिदैई, लेफ्टिनेंट कर्नल टी. सकाई, ले. कर्नल शिरो नोनोगाकी, मेजर ताराकोना, मेजर इहाहो ताकाहाशी, कैप्टेन कीकिची अराई, प्रमुख पायलट मेजर ताकीजावा, द्वितीय पायलट आयोआगी, नेविगेटर सार्जेंट ओकिस्ता, रेडिओ ओपरेटर एन. सी. ओ. नोमीगाना, जापानी दुभाषीय निगेषी तथा एक अन्य व्यक्ति था | विमान ७.४५ सायः तौरेन पहुंचा | यही रात बीती (सुरक्षा दृष्टि से) तथा १८ अगस्त १९४५ को ७ बजे प्रातः तौरेन से रवाना हुवा | लगभग २ बजे फारमोसा (अब ताईवान) की राजधानी ताईहोकू (अब तइपेई) के हवाई अड्डे पर इंधन लेने के लिए उतर गया | हल्का नाश्ता हुआ | पुनः विमान २:३५ बजे उड़ा और तत्काल ही धमाका हुआ, विमान गिर गया |
ले. कर्नल नोनोगाकी ने शाहनवाज समिति को बताया था कि तौरेन में सब साथ ठहरे थे तथा नेताजी के साथ ही सबने भोजन किया था जबकि मेजर ताकाहाशी ने बयान दिया था कि उन्होंने नेताजी को नहीं देखा था, जहाँ वे लोग ठहरे थे और भोजन भी अलग अलग किये | (सुरेश चन्द्र बोस, डी. रिपोर्ट, पृष्ठ ७५)
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अगर नेताजी के साथ ही सभी ने भोजन किया तो मेजर ताकाहाशी ने नेताजी को कैसे और क्यों नहीं देखा ? *११*
वास्तव में नेताजी तौरेन गए ही न थे | यह इस बात से भी स्पष्ट हो जाता है कि खोसला आयोग के समक्ष नोनोगाकी ने कहा था कि तौरेन में नेताजी एवं अन्य यात्री मिलिट्री बैरको में ठहरे थे (खोसला आयोग की बैठके, भाग ६, पृष्ठ २११२), जबकि इसी व्यक्ति ने बलराज त्रिखा के जिरह में कहा था कि नेताजी एवं सभी सहयात्री होटल तौरेन में ठहरे थे | (खोसला आयोग, पृष्ठ २१२५)
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