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नेताजी – जिन्दा या मुर्दा २९. प्रश्न १८. कर्नल हबीबुर्रहमान (नेताजी के तथाकथित यात्रा के एकमात्र भारतीय सहयात्री ) के अधिकारिक चार बयानों में इतना विरोधाभाष क्यों ?

Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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कर्नल हबीबुर्रहमान (नेताजी के तथाकथित यात्रा के एकमात्र भारतीय सहयात्री ) के अधिकारिक तौर पर चार बयान अब तक आये है – पहला बयान २४ अगस्त १९४५ को दुर्घटना के ६ दिन बाद लिखित रूप में | दूसरा ८ सितम्बर १९४५ को एस. ए. अय्यर के सामने | तीसरा बयान २४ सितम्बर १९४५ को अमेरिकी और ब्रिटिश गुप्तचर अधिकारिओ के सामने और चौथा बयान ६ अप्रैल १९५६ को नई दिल्ली में शाहनवाज आयोग के सामने |

पहला बयान (२४ अगस्त १९४५ को दुर्घटना के ६ दिन बाद लिखित रूप में)

२ बजकर ३५ मिनट पर विमान ने उड़ान आरंभ की | अभी वह काफी ऊँचा नहीं गया था, एयरफिल्ड के सिमाओ के निकट ही था कि सामने से धमाके जैसी जोरदार आवाज हुई | वास्तव में प्रोपेलर टूट गया था | इस विमान के अगले और पिछले दोनों भागो में आग लग गई | नेताजी पेट्रोल टंक के दाहिनी और बैठे थे | मै नेताजी के पीछे बैठा था | नेताजी विमान के अगले भाग के बाई और से बाहर निकले | मै उनके पीछे निकला | हमें बाहर निकलने के लिए आग में से होकर गुजरना पड़ा | जैसे ही बाहर मै आया, मैंने देखा कि सर से पांव तक नेताजी के कपड़ो में आग लगी है | मै उनके कपडे उतारने में सहायता देने के लिए दौड़ा | जब उनके कपडे उतारे गए तो उनके शरीर पर कई गंभीर घाव थे | इसके अलावा दुर्घटना के समय उनके सर में गहरी चोट आ गयी थी | १५ मिनट के अन्दर ही हम सब निकट के निपोन सैनिक अस्पताल पहुँच गए, लेकिन ९ बजे नेताजी की मृत्यु हो गयी | मृत्यु से पहले वे पूरी तरह होश में थे तथा विल्कुल शांत थे | मरने से पहले उन्होंने देशवासियों के नाम यह अंतिम सन्देश दिया – मै भारत की स्वतंत्रता के लिए अंत तक लड़ता रहा हूँ और उसी प्रयास में अपना जीवन अर्पित कर रहा हूँ | देशवासिओं, स्वतंत्रता के युद्ध को जारी रखना | भारत शीघ्र ही स्वतंत्र होगा | आजाद हिंद, जिंदाबाद |
२२ अगस्त १९४५ को ताइहोकू (तइपेई) में उनका दाह संस्कार कर दिया गया |

दूसरा बयान (८ सितम्बर १९४५ को एस. ए. अय्यर के सामने)

२ बजकर ३५ मिनट पर विमान उड़ा | वह कठिनाई से २००-३०० फीट की ऊँचाई पर ही पहुंचा होगा और हवाई अड्डे के निकट ही था कि एक जोरदार आवाज हुई | बाद में मुझे पता चला कि प्रोपेलर टूट गया था | कुछ समय के लिए मै बेहोश हो गया | जब मुझे होश आया तो देखा की सब सामान मेरे ऊपर गिरा पड़ा है | नेताजी विमान के पिछले भाग से निकलने का प्रयास कर रहे थे | मैंने उनसे कहा – नेताजी आगे से निकालिए | वह निकल गए एवं मेरी प्रतीक्षा में १०-१५ मिनट खड़े रहे | उनके कपड़ो में आग लगी हुई थी तथा वह अपना बुशकोट की पेटी खोलने के लिए जोर लगा रहे थे | मै दौड़ कर उनके पास गया और उनकी पेटी खोलने में सहायता की | उनका चेहरा आग से झुलसा हुआ तथा लहूलुहान था | कुछ मिनटों पश्चात वह भूमि पर गिर पड़े | मेरे भी होश हवाश गुम हो गए | जब मुझे होश आया तो मैंने अपने आपको एक अस्पताल में देखा | नेताजी का बिस्तर भी मेरे साथ ही लगा था | जापनियो ने नेताजी के जीवन रक्षा के लिए भारी प्रयास किये परन्तु सब निरर्थक साबित हुआ | ६ घंटे पश्चात् रात को लगभग ९ बजे शांतिपूर्वक उनकी मृत्यु हो गयी | २० अगस्त को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया | (सुभाष चन्द्र बोस, डिसेंशिंएंट रिपोर्ट, पृष्ठ १४५-१४६)

तीसरा बयान (२४ सितम्बर १९४५ को अमेरिकी और ब्रिटिश गुप्तचर अधिकारिओ के सामने)

उड़ान के पश्चात् विमान कोई अधिक ऊंचाई पर नहीं गया था कि मैंने जोर का धमाका सुना | विमान एयरफिल्ड के निकट ही नष्ट हो गया | मै विमान दुर्घटना के बाद बेहोश नहीं हुआ | मैंने देखा – नेताजी विमान के पास लेते हुवे है और उनके कपडे जल रहे हैं | बाद में पता चला कि नेताजी के शरीर पर आग से घाव हो गया है | नेताजी जब होश में आने लगे तो उन्होंने सर में दर्द की शिकायत की | १८ अगस्त १९४५ को रात्रि के ९ बजे उनका देहावसान हो गया | (सुभाष चन्द्र बोस, डिसेंशिंएंट रिपोर्ट, पृष्ठ १४७-१४८)

चौथा बयान (६ अप्रैल १९५६ को नई दिल्ली में शाहनवाज आयोग के सामने)

विमान कठिनाई से कुछ ही ऊपर उड़ा था कि एक जोरदार धमाका हुआ और जहाज तेजी से नीचे गिरने लगा | प्रोपेलर तथा बायाँ इंजन बाहर गिर गया | जहाज जमीन से टकरा गया | उसका अग्रभाग अलग हो गया और उसमे आग लग गयी | नेताजी मेरी और मुड़े – मैंने कहा आगे से निकालिए, पीछे रास्ता नहीं है | मै भी नेताजी के पीछे पीछे निकला | जब मै बाहर आया तो देखा कि नेताजी के कपडे जल रहे है | मै उनकी ओर दौड़ा | मैंने उन्हें निचे लिटाया | मैंने देखा कि उनके सर पर बहुत गहरा घाव (लगभग ४ इंच ) हो गया है | उनका चेहरा लहूलुहान था | बाल भी जल गए थे | नेताजी को लेटाकर मै खुद भी पास ही लेट गया | उसी समय नेताजी ने मुझसे कहा – आपको ज्यादा तो नहीं लगी ? मैंने कहा – मै समझता हूँ कि ठीक हो जाऊंगा | अपने बारे में उन्होंने कहा कि वे अनुभव करते है कि वे अब नहीं बच सकेगे | उन्होंने कहा – जब आप स्वदेश लौटे तो देशवासिओ को बताना कि मै अंतिम साँस तक देश की आज़ादी के लिए लड़ता रहा हूँ | वे स्वतंत्रता आन्दोलन को जारी रखे | भारत अवश्य स्वतंत्र होगा | उसको कोई गुलाम नहीं रख सकता | उसी रात उनका निधन हो गया और २० अगस्त को उनका दाह संस्कार कर दिया गया | (नेताजी जाँच समिति – १९५६ का प्रतिवेदन, पृष्ठ १८-४०)

बयान परिक्षण

१. पहले बयान में कहा गया कि नेताजी ने अंतिम सन्देश अस्पताल में दिया जबकि चौथे बयान में कहा गया है कि नेताजी ने दुर्घटनास्थल पर ही बयान दिया |

२. दुसरे बयान के अनुसार कर्नल दुर्घटना पश्चात् बेहोश हो गए थे और जब उन्हें होश आया तो अपने को एक अस्पताल में पाया जबकि तीसरे बयान के अनुसार वे बेहोश ही नहीं हुवे थे |

३. तीसरे बयान के अनुसार नेताजी विमान से बाहर निकल कर लेटे हुवे थे, ऐसा कर्नल ने देखा जबकि अन्य बयानों के अनुसार कर्नल ने नेताजी को विमान के बाहर खड़े देखा |

४. नेताजी के सर में ४ इंच गहरे घाव एवं रक्त बहने की बात अन्य किसी गवाह ने नहीं की यहाँ तक कि उनका इलाज करने वाले डॉक्टर ने भी नहीं |

५. पहले बयान के अनुसार नेताजी का दाह संस्कार २२ अगस्त को हुआ जबकि दुसरे बयान के अनुसार २० अगस्त को हुआ |

cont…Er. D.K. Shrivastava (Astrologer Dhiraj kumar) 9431000486, ६.१०.२०१०

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