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कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
Singer: Kishore Kumar
फिल्म : बातो बातो में
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे
कभी सुख कभी दुख यही ज़िंदगी हैं,
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं
नये फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे
भले तेज़ कितना हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे
कहे कोई कुछ भी मगर सच यही है
लहर प्यार की जो कहीं उठ रही है
उसे एक दिन तो किनारे मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे
Dhiraj kumar (28.5.88) (11.3.2011)
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