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छु लेने दो नाजुक होठों को
गायक : रफ़ी
फिल्म : काजल
छू लेने दो नाज़ुक होठों को, कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये, छू………
क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है, वो सबसे हंसीं ईनाम हैं ये, छू………
शरमा के न यूँ ही खो देना, रंगीन जवानी की घड़ियाँ – 2
बेताब धड़कते सीनों का, अरमान भरा पैगाम है ये, छू …
अच्छों को बुरा साबित करना, दुनिया की पुरानी आदत है – 2
इस मै को मुबारक चीज़ समझ, माना की बहुत बदनाम है ये,
छू लेने दो नाज़ुक होठों को, कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये, छू………
क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है, वो सबसे हंसीं ईनाम हैं ये, छू………
– Dhiraj kumar (9.9.1990)(11.3.2011)
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