Dharm & religion; Vigyan & Adhyatm; Astrology; Social research
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पीठ पीछे हुवे वार से डर लगता है,
मुझे हर दोस्त से हर यार से डर लगता है |
चाहे पत्नी हो या प्रेमिका अथवा गणिका,
प्यार की शैली में व्यापार से डर लगता है |
कोई तलवार न काट पाई जिसको,
वक्त के नदियाँ के उस धार से डर लगता है |
मुझे हर ……. पीठ पीछे ……..
हम चमत्कारों में विश्वास तो करते है मगर,
हम गरीबो को चमत्कार से डर लगता है |
पीठ……….मुझे………..
संविधानो की भी रक्षा न कर पाए जो,
मूकदर्शक बनी इस सरकार से डर लगता है
पीठ……..मुझे………………
धीरज कुमार
07.09.2009, हिंदी पखवाडा, RTTC, नागपुर.
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